Monday, July 12, 2010

ना जाने ये आँधियाँ कहाँ तक ले जाएंगी

ना जाने ये आँधियाँ कहाँ तक ले जाएंगी,
ये रास्ते क्या मंज़र दिखाएंगे,

जीतना जिसकी चाह होती है,
रास्ते वो खोज ही लेते हैं,

रात में जो उजाला देखते हैं,
जो सिर्फ़ पाना जानते हैं,

जीतते हमेशा वही हैं,
जो ज़िंदगी जीना जानते हैं...

-- विकास श्रीवास्तव

5 comments: